कालीबंगा की सभ्यता, कालीबंगा का इतिहास
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कालीबंगा, हनुमानगढ़
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कालीबंगा सभ्यता का परिचय
राजस्थान में अनेक प्राचीन सभ्यताएं है।कालीबंगा की सभ्यता राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है।कालीबंगा एक प्राचीन और ऐतिहासिक स्थान है।कालीबंगा की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है।यह सभ्यता 4500 ई.पु.की है।जो की घग्घर नदी जिसका प्राचीन नाम सरस्वती नदी था के किनारे पर स्थित है।कालीबंगा की खुदाई में हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए है। यहाँ लगभग 4500 वर्ष पूर्व हड़प्पाकालीन सभ्यता फलफूल रही थी।कालीबंगा में सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन अवशेष प्राप्त हुआ है।मोहनजोदड़ो व हड़प्पा के पश्चात् हड़प्पा सभ्यता में कालीबंगा का स्थान है।कालीबंगा कहा स्थित है ?
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कालीबंगा संग्रहालय
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कालीबंगा सभ्यता की खोज
कालीबंगा सभ्यता की खोज 1952 ई.में पुरात्वविद श्री अमलानंद घोष ने की।इस सभ्यता का उत्खनन 1960-61 में शुरू हुआ।इसकी खुदाई 1961-69 के मध्य श्री बी.बी.लाल और श्री बी.के.थापर द्वारा की गई।कालीबंगा का इतिहास
यह स्थान चूड़ियों का प्रसिद्ध स्थान था।खुदाई में निकली काली चूड़ियाँ इसका विशेष आकर्षण है,ये काली चूड़ियाँ पत्थर से बनी है।काली चूड़ियों के कारण ही इसका नाम कालीबंगा पड़ा क्योंकि बंगा का अर्थ होता है चूड़ियाँ। कालीबंगा में हड़प्पा सभ्यता के खुदाई में प्राप्त प्राचीन अवशेषो को संग्रहालय में रखा गया है इस संग्रहालय को 1983 में स्थापित किया गया था।
कालीबंगा से प्राप्त पुरातन अवशेष
नगर और दुर्ग
कालीबंगा की खुदाई में मिली सामग्री से यह अनुमान लगाया जा सकता है की कालीबंगा एक समृद्ध और सुरक्षित स्थान रहा होगा।यहाँ एक नगर के साथ साथ दुर्ग के भी साक्ष्य मिले है जो की कच्ची ईंटो की दीवारों से सुरक्षित किये गए थे और पूजा पाठ से सम्बंधित जैसे हवनकुंड इत्यादि भी मिले है जिससे यह पता चलता है की लोग पूजा पाठ भी करते थे।
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कालीबंगा की सभ्यता, कालीबंगा का इतिहास
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ईंटो का प्रयोग
प्राप्त अवशेष से पता चलता है की यहाँ मकान कच्ची ईंटो से बने हुए थे।नगर में अलग अलग मकान जिनमे कमरे थे और आंगन होने के साक्ष्य मिले है जो की चिकनी मिट्टी से पुते होते थे।फर्श भी चिकनी मिट्टी से पुते हुए और कहीं कहीं पक्के फर्श भी प्राप्त हुए है।
सड़कें और नालियां
नगर में सड़कें और नालियाँ बनी हुई है।भवन निर्माण में कच्ची ईंटो का प्रयोग किया गया है लेकिन सड़के, कुएँ,स्नानागार और नालियाँ पक्की ईंटो से निर्मित की गई है।कृषि के प्रमाण
यहाँ प्राप्त मिट्टी की बैलगाड़ी , बैल और पहिये इत्यादि से यह अनुमान लगाया जा सकता है की उस वक्त बैलगाड़ी का प्रचलन रहा होगा।इसके साथ साथ कृषि के भी प्रमाण मिले है।एक टीले की खुदाई से जुते हुए खेत मिले है इससे पता चलता है की यहाँ के लोग खेती करते थे।इसके अलावा यहाँ उत्खनन में कांच की चूड़ियाँ, मिट्टी की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, शंख, पाषाण के उपकरण,मिट्टी के मनके, खिलोनें, मिट्टी के बैल, बैलगाड़ी के पहिये और सिलबटे इत्यादि अवशेष भी प्राप्त हुए है।इसके अलावा पत्थर के तोल के बाट मिले है जिससे यह सिद्ध होता है की यहाँ के नागरिक व्यापार भी करते थे।
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ताम्बे का प्रयोग
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ताम्बे के औज़ार |
कालीबंगा के उत्खनन में ताँबे के प्रयोग के भी साक्ष्य मिले है ताम्बे की मोहरें , ताम्बे के औज़ार, हथियार, ताम्बे की मूर्तियाँ और मोहरें भी प्राप्त हुई है इससे यह पता चलता है की उस वक्त ताम्बे का प्रयोग होता था। ताम्बे के अलावा पत्थर के औज़ार , हथियार ,मुर्तियाँ इत्यादि प्राप्त हुए है। ताम्बे से बना हुआ बैल विशेष आकर्षण है।मिट्टी की मोहरें और ताम्बे की मोहरों पर बैल और अन्य पशुओं की मूर्ति बनी है।
दाह संस्कार व्यवस्था
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दाह संस्कार वयवस्था |
खुदाई में दक्षिण-पश्चिम दिशा में शमशान और कब्रिस्तान के प्रमाण मिले है जिससे है पता चलता है की लोग शव का दाह संस्कार और शव को दफ़नाने का भी रिवाज था। जब शव को गाड़ते थे तो उसके साथ जरूरत का सामान भी शव के साथ रखा जाता था।
आभुषण
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ताम्बे से निर्मित वस्तुएँ |
आभुषणो में मिट्टी की चूड़ियाँ , ताम्बे की और पत्थर की चूड़ियाँ और अन्य विभिन्न प्रकार के आभुषण प्राप्त हुए है।
मिट्टी के बर्तन
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kalibanga |
कालीबंगा के उत्खनन में मिट्टी के बर्तन भी मिले है।इसके अलावा मिट्टी की चूड़ियाँ, मिट्टी के खिलोनें और मिट्टी से बने बड़े बड़े मटके भी प्राप्त हुए है।
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सतपाल वर्मा
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